शुक्रवार, 5 मई 2017
ॐ श्री महुआबाबा महीमा - पचरा, बिरहा और गीत
2) अपनी शक्ति से हमरो नयन लौटाई ये बाबा
3) बाबा झारत बाने अपना शक्ति से जे भी जा भक्ति से
4) तनि चला न बाबा के नगरीया ये राजा
5) कलजुग में देव बनके अईले महुआबाबा - चमत्कार हो गईल
6) मन में असरा लगाके अईनी चरनिया बाबा
7) महुआ तरवा - कईले बाड़अ गजब चमत्कार
8) महुआबाबा चौरा पे -बिरहा
9) महुआबाबा हो - आ गईनी शरण तोहार (सोखा-भूत ,पंड़ित -ग्रह-दोष, डाॅक्टर - रोग)
10) न मंदिर न मस्जिद कतही न कतही मजार बा - तेलमा गाँव के सटले महुआबाबा के दरबार बा
11) महुआबाबा के दरबार -सैया ले-ले चलअ
शुक्रवार, 24 मार्च 2017
गुरुवार, 23 मार्च 2017
मंगलवार, 21 मार्च 2017
सोमवार, 20 मार्च 2017
आहार भी सबको तीन प्रकार का प्रिय होता है - (सात्विक राजसी तामसिक) आहार
जो मनुष्य जैसा होता हैं उसको वैसा ही आहार प्रिय होता है , जैसे - सात्विक मनुष्य को सात्विक आहार, राजस मनुष्य को राजसी आहार एवम् तामस मनुष्य को तामसिक आहार प्रिय होता हैं ।
प्रत्येक जीव तीन गुणो ( सत्व , रज और तम ) से बना हुआ हैं ।
श्रीमद् भगवद् गीता के अनुसार
1) सात्विक मनुष्य - अध्याय 17 श्लोक 8
2) राजस मनुष्य - अध्याय 17 श्लोक 9 -
3) तामस मनुष्य - अध्याय 17 श्लोक 10
प्रत्येक जीव तीन गुणो ( सत्व , रज और तम ) से बना हुआ हैं ।
श्रीमद् भगवद् गीता के अनुसार
1) सात्विक मनुष्य - अध्याय 17 श्लोक 8
3) तामस मनुष्य - अध्याय 17 श्लोक 10
रविवार, 19 मार्च 2017
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